रीढ़ सीधी – नया आत्मविश्वास

रीढ़ सीधीनया आत्मविश्वास: 14 साल के बच्चे में एक जटिल स्कोलियोसिस सर्जरी की सफल कहानी
डॉ. शंकर आचार्यवरिष्ठ स्पाइन सर्जन, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली

स्कोलियोसिस (रीढ़ की वक्रता) एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों और किशोरों में चुपचाप बढ़ती जाती है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह न केवल शरीर की बनावट को बिगाड़ती है बल्कि आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है।

हाल ही में हमारे पास एक 14 वर्षीय बालक आया, जिसकी पीठ में पिछले दो वर्षों से टेढ़ापन था। जांच के बाद उसे Adolescent Idiopathic Scoliosis – Lenke Type 3BN का निदान मिला। उसकी रीढ़ में तीन प्रमुख वक्रताएँ थीं:

  • थोरासिक (सीने की) वक्रता – 58 डिग्री (T4 से T12 तक)
  • लम्बर (कमर की) वक्रता – 36 डिग्री (D12 से L4 तक)

दाहिने कंधे की उंचाई पसलियों का उभार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था

हालांकि उसे सांस लेने में तकलीफ नहीं थी और न ही कोई न्यूरोलॉजिकल कमजोरी थी, लेकिन शरीर की बनावट बिगड़ती जा रही थी। परिवार ने सही समय पर निर्णय लिया और बच्चे की सर्जरी करवाई।

जटिल लेकिन सफल स्पाइन सर्जरी

22 अप्रैल 2025 को हमने इस बच्चे की Posterior Fixation T4–L1 तक की सर्जरी की, जिसमें किया गया:

  • Multilevel Ponte Osteotomy
  • Rod Rotation Technique
  • Intraoperative Neuromonitoring  (सर्जरी के दौरान नसों की निगरानी)

सर्जरी के बाद बदलाव

  • बच्चे की रीढ़ की संरचना में अत्यंत सुधार
  • कंधे की असमानता और पसलियों का उभार कम
  • सीधा खड़ा होने की क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि
  • X-ray में स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि रीढ़ अब सीधी है
  • कोई न्यूरोलॉजिकल जटिलता नहीं हुई

यह सर्जरी क्यों खास है?

इस केस से स्पष्ट होता है कि अगर सही समय पर सर्जरी की जाए तो जटिल रीढ़ की विकृति भी पूरी तरह ठीक की जा सकती है। बच्चों में समय पर पहचाना गया स्कोलियोसिस पूरी तरह ठीक हो सकता है।

मातापिता ध्यान दें, अगर आपके बच्चे में दिखें ये लक्षण:

  • एक कंधा या कूल्हा ऊँचा होना
  • कपड़े टेढ़े लगना या ढंग से न बैठना
  • झुकने पर पीठ में पसलियों का उभार दिखना
  • शरीर एक ओर झुका हुआ लगना तो तुरंत किसी अनुभवी स्पाइन सर्जन से मिलें।